स्थानीय स्वराज्य संस्थाओं के चुनाव फिर से टल गए, सर्वोच्च न्यायालय में 4 मार्च को सुनवाई

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स्थानीय स्वराज्य संस्था चुनाव की सुनवाई को टाला गया

स्थानीय स्वराज्य संस्थाओं से संबंधित सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई आज भी नहीं हो सकी। आज यह मामला 29वें नंबर पर था, लेकिन कोर्ट नंबर 3 में आज दोपहर एक बजे तक ही कामकाज होना था। आठवें नंबर तक के मामलों की सुनवाई हुई, फिर कामकाज समाप्त हो गया। इस कारण से स्थानीय स्वराज्य संस्थाओं के चुनाव अब फिर से टल गए हैं, और सर्वोच्च न्यायालय में 4 मार्च को सुनवाई होगी।

राज्य में पिछले दो-तीन साल से २९ महापालिकाओं के चुनाव लंबित हैं। इसके अलावा स्थानीय स्वराज्य संस्था के चुनाव स्थगित कर दिए गए हैं। अब अप्रैल के अलावा यह चुनाव होने का मुहूर्त नहीं दिखाई दे रहा है। वॉर्ड की संरचना, सदस्यों की संख्या राज्य चुनाव आयोग को तय करनी चाहिए या राज्य सरकार ने इस संबंध में यह याचिका दायर की है। सुप्रीम कोर्ट के पैâसले के बाद चुनाव की तैयारी में कम से कम तीन महीने लगेंगे। इसलिए महानगरपालिका, नगर पालिका, नगर पंचायत के लिए चुनाव के कोई संकेत नहीं हैं।

चार साल से लंबित है मनपा चुनाव

पिछले २-४ साल से राज्य में २९ मनपाओं के चुनाव रुके हुए हैं। इसमें २४५ नगरपालिका परिषद, १४६ नगर पंचायत के चुनाव लंबित हैं। जबकि २६ जिला परिषदों, २८९ पंचायत समितियों पर प्रशासनिक शासन है। इसके अलावा ६ जिला परिषदों और ४४ पंचायत समितियों का कार्यकाल फरवरी २०२५ के अंत में समाप्त हो जाएगा वहीं १,५०० ग्राम पंचायतें फिलहाल प्रशासनिक शासन के अधीन हैं।

आज (मंगलवार, 25 फरवरी) सर्वोच्च न्यायालय में सुनवाई हो रही थी। इस सुनवाई पर राज्य की जनता और राजनीतिक पार्टियों का ध्यान था। न्यायालय इस मामले में सरकार को, चुनाव आयोग को क्या निर्देश देगा, इस बारे में सभी के मन में उत्सुकता थी। स्थानीय स्वराज्य संस्थाओं के चुनाव से संबंधित सर्वोच्च न्यायालय में दाखिल याचिका पर आज (25 फरवरी) सुनवाई हुई। हालांकि, इस पर अभी तक कोई फैसला नहीं हुआ है, और न ही न्यायालय ने कोई निर्देश दिए हैं। अब इस मामले की अगली सुनवाई 4 मार्च को होगी। इसके कारण राज्य की नगर निगमों के लटके हुए चुनाव फिर से टल गए हैं। दोनों पक्षों के वकीलों ने अगली सुनवाई के लिए 4 मार्च की तारीख प्रस्तावित की थी, जिस पर न्यायालय ने सहमति व्यक्त की।