केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह (Amit Shah) द्वारा वर्ष 2026 के मार्च माह तक देश से माओवाद खत्म करने की घोषणा के बाद जिस तरह से छत्तीसगढ़ में माओवादियों के विरुद्ध आक्रामक रणनीति अपनाई गई है, उससे माओवादी आतंकी संगठन की कमर टूट चुकी है।माओवादियों द्वारा छत्तीसगढ़ के विभिन्न क्षेत्रों में की जा रही गतिविधियां तो कम हुई ही हैं, वहीं बीते 10 महीनों में ही फोर्स ने 200 से अधिक माओवादियों को मार गिराया है। इस दौरान सैकड़ों की संख्या में माओवादी गिरफ्तार भी हुए हैं, वहीं उनके द्वारा आत्मसमर्पण भी किया गया है।छत्तीसगढ़ में माओवादियों के विरुद्ध केंद्र सरकार द्वारा बीते एक दशक से ही अभियान चलाए जा रहे हैं, लेकिन वर्ष 2018 में प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनने के कारण इन अभियानों की गति धीमी हो गई थी।
इसी बीच मध्यप्रदेश में भी कांग्रेस की सरकार होने के चलते कान्हा नेशनल पार्क के बफर जोन में भी माओवादियों की पैठ बढ़ने लगी थी, जिसके जवाब में प्रदेश की सरकार ने कोई ठोस कदम नहीं उठाए।इसी का परिणाम था कि माओवादी मध्यप्रदेश–छत्तीसगढ़ सीमा पर एक नया कॉरिडोर बनाने में जुटे हुए थे, जिसमें बालाघाट–मंडला–डिंडोरी शामिल था। हालांकि बाद में शिवराज सिंह की सरकार आने के पश्चात माओवादियों के विरुद्ध विशेष अभियान चलाए गए और बड़ी सफलता भी मिली।इन सब के बीच वर्ष 2023 में छत्तीसगढ़ और मध्यप्रदेश के विधानसभा चुनाव हुए जिसमें दोनों राज्यों में भाजपा की सरकार बनी और पूरी रणनीति के साथ छत्तीसगढ़ में माओवादियों का सफाया शुरू हुआ। लेकिन इन सब के बीच मध्यप्रदेश में माओवादियों की उपस्थिति कम तो हुई लेकिन वहां से माओवादी खत्म नहीं हुए हैं। प्रदेश में माओवादियों की उपस्थिति को लेकर इनपुट्स मिलते रहे हैं, लेकिन ऐसी कोई बड़ी घटना को माओवादियों ने अंजाम नहीं दिया है।
अब सरकार बनने के लगभग एक वर्ष के बाद मध्यप्रदेश की सरकार ने प्रदेश में माओवादियों के सम्भावित खतरे को देखते हुए केंद्र सरकार से सीआरपीएफ की दो बटालियन की मांग की है, जो माओवाद से प्रभावित मंडला–बालाघाट–डिंडोरी क्षेत्र में तैनात किए जाएंगे।दरअसल हाल ही में प्रदेश के खुफिया विभाग से यह जानकारी सामने आई है कि माओवादी छत्तीसगढ़ में अपनी पकड़ को कमजोर होता देख, मध्यप्रदेश के कान्हा बफर जोन और मंडला–बालाघाट–डिंडोरी में नये कैडर तैयार करने में जुटे हुए हैं।
प्रतिबंधित माओवादी आतंकी संगठन सीपीआई (माओवादी) इन क्षेत्रों में दलम-2 के नाम से कैडर तैयार कर रहा है। मध्यप्रदेश के एटीएस के खुफिया विभाग द्वारा मिले इनपुट्स में कहा गया है कि ‘दलम-2′ के नाम पर माओवादी यहां अपना नेटवर्क भी बढ़ा सकते हैं। ऐसी परिस्थिति में इन क्षेत्रों में अतिरिक्त फोर्स की तैनाती जरूरी है।माओवादी आतंकवाद से निपटने के लिए मध्यप्रदेश की सरकार ने ना सिर्फ सीआरपीएफ की दो बटालियन की मांग की है, बल्कि इन तीन जिलों में 220 नई सड़कों के निर्माण का प्रस्ताव भी रखा है, जो माओवादी उन्मूलन के लिए इस क्षेत्र में बड़ी भूमिका निभाएगा।हालांकि मध्यप्रदेश में बीते वर्षों में माओवादियों के विरुद्ध अभियानों में तेजी आई है, जिसके लिए नए पुलिस कैम्प भी स्थापित किए गए हैं। इन तीन जिलों में जहां पहले 20 कैम्प हुए करते थे, वहीं अब यहां 43 कैम्प हो चुके हैं। वहीं एक आंकड़ें के अनुसार मध्यप्रदेश में अभी 75 माओवादी सक्रिय रूप से मौजूद हैं।